ओपी चौधरी जी के जन्मदिवस पर विशेष

संकल्प, संघर्ष और स्वर्णिम सफलताओं का रोमांचक सफरनामा बनाम ओ. पी. चौधरी

( मुकेश जैन)

हमारा सामाजिक व आर्थिक परिवेश ऐसा नहीं है कि सभी प्रतिभाओं को पनपने का सुअवसर मिल ही जाये। अभावग्रस्त गाँव, सुविधाविहीन शैक्षणिक स्थिति, विषम आर्थिक व घरेलू परिस्थितियां आदि बाधाओं के कारण साधारण प्रतिभायें असमय कुंठित हो जाती हैं ; लेकिन असाधारण प्रतिभायें इन रुकावटों में और अधिक सक्रिय हो उठती हैं। वे अपनी संकल्पशक्ति को सीढियां बनाकर असाधरण सिद्धियां प्राप्त करती हैं। ओ पी चौधरी का नाम ऐसी ही असाधरण प्रतिभाओं में शुमार होता है। तमाम प्रतिकूल व अभावग्रस्त परिस्थितियों से जूझकर ओ पी चौधरी ने एक के बाद एक जो चमकीली सफलतायें अर्जित की हैं, वह अचंभित कर देने वाली हैं।

कठिन बचपन एवं विद्यार्थी जीवन:-
ओ पी चौधरी का जन्म 2 जून 1981 को रायगढ़ के नजदीकी गांव बायंग में प्राइमरी स्कूल शिक्षक व किसान पिता दीनानाथ चौधरी एवं माता कौशल्या के घर-आंगन में हुआ। जब ओ पी मात्र 8 वर्ष के थे तब उनके सर से पिता का साया उठ गया। केवल चौथी कक्षा पास उनकी माता कौशल्या देवी ने पेंशन की धनराशि से अपने तीन बच्चों की परवरिश की। जब नन्हें ओ पी अपनी माता जी के साथ पेंशन लेने हेतु रायगढ़ कलेक्टोरेट कार्यालय आते थे तब उन्होंने देखा कि कैसे कलेक्टर के आदेश पर फटाफट जरूरतमंद लोगों के काम हो जाते हैं। बस यहीं से उनके बाल-मन में कलेक्टर बनने का सपना पलने लगा। उन्होंने 12 वीं कक्षा तक की शिक्षा हिंदी मीडियम में गांव के ही साधनविहीन स्कूलों से पूरी की और कल्याण कॉलेज भिलाई से उन्होंने बी.एस.सी की परीक्षा पास की। तत्पश्चात बचपन से पल रहे कलेक्टर बनने के सपने को पूरा करने का संकल्प लिये वे दिल्ली पंहुचे। आरम्भ से बेहद मेहनती व मेधावी रहे ओ पी चौधरी ने मात्र 23 वर्ष की उम्र में भारत की सबसे कठिन व प्रतिष्ठापूर्ण आई.ए.एस. परीक्षा न केवल प्रावीण्यता के साथ उत्तीर्ण की वरन मसूरी में प्रशिक्षण के दौरान गोल्ड मैडल हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

कलेक्टर ओ.पी. का नवाचार व उनकी अद्भुत योजनायें :-
वर्ष 2011 में उन्हें पहली बार जिला कलेक्टर बनने का अवसर मिला तो उन्होंने नक्सल पीड़ित और चुनौतीपूर्ण जिला दंतेवाड़ा को अपने कार्यक्षेत्र के रूप में चुना । यहां उन्होंने वो करिश्माई कार्य कर दिखाये जिसकी चर्चा देश ही नहीं वरन विदेशों में भी गूंजी। इस आदिवासी जिले में उन्होंने प्राइमरी स्कूल के बच्चों से लेकर महाविद्यालयीन स्तर के छात्रों हेतु शिक्षा की कई अनोखी योजनाएं लागू की और बहुत बड़ी आबादी को हिंसा के रास्ते से हटाकर समाज की मुख्यधारा की ओर मोड़ा। इनकी अभिनव योजनाओं में नन्हें परिंदे, छू लो आसमान, पोटा कैबिन्स , प्रोजेक्ट तमन्ना, प्रयास विद्यालय,शिक्षा सवारी योजना, साइंस म्यूज़ियम, स्पोर्ट्स क्लब, इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग सेंटर,आधुनिक ट्राइबल गर्ल्स स्कूल आदि ने वनांचल के लोगों में राज्य व्यवस्था के प्रति डगमगाते विश्वास को थामकर उसकी जगह पूर्ण विश्वास जागृत किया और उनमें सकारात्मक परिवर्तन की लहर पैदा कर दी। गीदम जैसे बीहड़ क्षेत्र के ग्राम जावंगा में कई एकड़ में अत्याधुनिक एजुकेशन हब बनाकर उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की । इस प्रोजेक्ट को देखने के लिये विदेशी मीडिया की कई टीमें छत्तीसगढ़ आयीं। इस एजुकेशन सिटी को के. पी. एम. जी. ने दुनिया के “सौ इनोवेटिव अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट” में शामिल किया। ओ पी की सर्वाधिक चर्चित योजना “लाइवली हूड कॉलेज” के नाम से प्रसिद्ध हुई जिसके लिये वर्ष 2011-12 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें ‘प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवार्ड’ से सम्मानित किया। रायपुर निगम कमिश्नर और फिर रायपुर कलेक्टर रहते हुए ओ पी ने राजधानी रायपुर में तेलीबांधा तालाब प्रोजेक्ट, खेल स्टेडियम, प्रयास स्कूल प्रोजेक्ट और नालंदा परिसर के रूप में विश्वस्तरीय लाइब्रेरी का निर्माण जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देकर राजधानी का कायाकल्प करने में जिस कार्यकुशलता व कल्पनाशीलता का परिचय दिया उसकी प्रशंसा दिल्ली तक सुनी गयी।

बाजीगर चौधरी का राजनीति में प्रवेश : ओ पी चौधरी स्वभाव से बाजीगर प्रकृति के शख्स हैं। जोखिम व चुनौती भरे निर्णय लेकर उसे सही साबित करना उनकी प्रवृत्ति और कार्यशैली का विशेष व उल्लेखनीय पहलू है। अपनी 13 वर्ष की कलेक्टरी के दौरान इस होनहार शख्सियत ने यह अनुभव किया कि नीति निर्धारण की शक्ति राजनैतिक नेतृत्व के हाथों में केंद्रित रहती है अतः अपनी योग्यता व कार्यक्षमता से देश-प्रदेश की दशा व दिशा में बड़े पैमाने पर सार्थक बदलाव व बड़ा परिवर्तन करना हो तो राजनीतिक प्रतिनिधत्व जरूरी है। इसी सोच के कारण ही उन्होंने कलेक्टरी जैसी सर्वाधिक आकर्षक नौकरी को छोड़कर राजनीति में शामिल होने का जोखिम भरा दांव खेल दिया। वर्ष 2018 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी जैसी राष्ट्रवादी पार्टी की सदस्यता ली और उसी वर्ष उन्होंने कांग्रेस की अपराजेय सीट खरसिया से विधानसभा चुनाव में उतरने की चुनौती को स्वीकार किया। दुर्योग से चुनाव परिणाम अनुकूल नहीं रहा लेकिन इससे हताश होने की बजाय उन्होंने पूरी निर्भीकता व प्रतिबद्धता के साथ विपक्षी नेता के रूप में संघर्ष को जारी रखा। रायगढ़ से लेकर बस्तर तक भाजपा को पुनर्गठित करने हेतु उन्होंने जी-जान से मेहनत की। इस दौरान रायगढ़ के हर जनआंदोलन का उन्होंने बढ़-चढ़ कर नेतृत्व किया। ओपी की लोकप्रियता, सर्वस्वीकार्यता तथा सर्वस्पर्शी व सर्वसमावेशी कार्यशैली को देखते हुये भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें 2023 के चुनाव में रायगढ़ विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। रायगढ़ की जनता ने इस होनहार युवा पर भरपूर स्नेह लुटाया और उन्होंने 64443 मतों के ऐतिहासिक अंतर से विजय श्री हासिल कर विधानसभा में धमाकेदार प्रवेश किया।

सक्षम वित्तमंत्री और तेजी से विकसित हो रहे रायगढ़ के कुशल शिल्पी :-
भाजपा आलाकमान ने ओ पी की योग्यता को देखते हुये उन्हें वित्तमंत्री का बेहद महत्वपूर्ण व चुनौतीपूर्ण दायित्व सौंपा। आरंभिक डेढ़ वर्ष में ही ओ पी ने अपनी कार्यकुशलता से प्रदेश के खस्ताहाल आर्थिक तंत्र को मजबूत बनाकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई में 3100 रुपये में धान खरीदी, दो वर्षों का बकाया बोनस, 18 लाख प्रधानमंत्री आवास का निर्माण , रामलाल दर्शन योजना जैसी मोदी की गारन्टी को पूरा करने हेतु जो कुशल वित्तीय प्रबंधन किया, वह बेजोड़ है। ‘एक ही राजनीति-विकास की राजनीति’ जैसे सूत्र वाक्य के प्रति उनकी अटूट ध्येय निष्ठा व रणनीतिक कौशल का ही परिणाम था कि रायगढ़ नगर- निगम चुनाव से लेकर पंचायत तक भाजपा को रिकॉर्डतोड़ सफलता मिली। डेढ़ वर्ष के अल्प कार्यकाल में ओ पी ने एक ठोस कार्ययोजना के तहत रायगढ़ विधानसभा के सर्वांगीण विकास के लिये जो ताबड़तोड़ कदम उठाये हैं, वे चमत्कृत कर देने वाले हैं। उनके पुरुषार्थ से किसानों के हित में जहां 389 करोड़ की लागत से केलो बाँध की नहरों का निर्माण व कोयलंगा डाइवर्सन का निर्माण कार्य प्रगति पर है, वहीं सपनाई जलाशय का कार्य पाइप-लाइन में है। युवाओं के कैरियर निर्माण के लिए 35 करोड़ की लागत से नालन्दा परिसर , 25 करोड़ की लागत से हार्टिकल्चर कॉलेज व प्रयास विद्यालय जैसी योजनाओं का प्रावधान किया गया है, वहीं युवाओं की खेल प्रतिभाओं को निखारने हेतु 97 करोड़ की लागत से सर्वसुविधायुक्त स्टेडियम, लगभग 15 करोड़ की लागत से बॉक्स क्रिकेट, बैडमिंटन कोर्ट, स्वीमिंगपूल, सिक्सलेन एथलेटिक ट्रैक व आर्चरी फील्ड जैसे प्रोजेक्ट चल रहे हैं। अति व्यस्तता के बावजूद ओ पी चौधरी द्वारा युवा वर्ग के कैरियर कॉउंसलिंग हेतु सेमिनार का समय निकालना इस बात का प्रमाण है कि वे प्रदेश के भविष्य निर्माण हेतु कितने सजग व प्रतिबद्ध हैं। केलो नदी पर रिवर फ्रंट तथा चांदनी चौक, कयाघाट रपटा और इंदिरानगर पुल का पुनर्निर्माण उनकी कार्य योजना में शामिल है। महिलाओं के स्वावलम्बन हेतु केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं पर फोकस तो है ही लेकिन इसके साथ स्व-सहायता समूह की बहनों हेतु ओ पी ने राज्य ग्रामीण बैंक के माध्यम से अपने विधानसभा क्षेत्र में करोड़ों की लोन सुविधा दिलवाकर महिला सशक्तीकरण की दिशा में बड़ी पहल की है। दीदी सदन का निर्माण भी अंतिम चरण में है। स्वास्थ्य सुविधा के विस्तार हेतु करोड़ों की लागत से रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। साथ ही पुसौर में 100 बिस्तरों का हॉस्पिटल व सरिया हॉस्पिटल के उन्नयन का कार्य भी प्रक्रियाधीन है।पर्यावरण सुधार हेतु एक ओर ‘पीपल फॉर पीपुल’ योजना के तहत ग्रीन बेल्ट विकसित किये जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर 22 करोड़ की लागत से दो ऑक्सीजोन व सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट हेतु 20 करोड़ की लागत से बॉयो गैस प्लांट भी बनाया जा रहा है। फ्लाई एश डंपिंग हेतु जी पी एस टैगिंग भी लागू किया जा रहा है। आधारभूत ढाँचे को सुदृढ़ बनाने हेतु शहर में लगभग 65 करोड़ से अधिक की लागत से 87 सड़कों का गुणवत्तापूर्ण कार्य द्रुत गति से चल रहा है वहीं शहर की बाहरी सड़कों को फोरलेन में तब्दील किया जा रहा है। रिंग रोड निर्माण हेतु राज्य बजट में बड़ी धनराशि का प्रावधान किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी गाँव-गाँव में सड़क, पुल-पुलिया, सामुदायिक भवन व सार्वजनिक शेड निर्माण आदि का कार्य जोरों पर है। जल सरंक्षण हेतु शहर व गाँव में तालाबों के पुनर्निर्माण व सौंदर्यीकरण के कई कार्य प्रगति पर हैं। इसके अतिरिक्त विद्युतीकरण, सामाजिक भवन, मुक्तिधाम निर्माण व उन्नयन , बस स्टॉप, नाली-नालों , पचरी व घाट निर्माण बाग-बगीचों,चौक-चौराहों व प्रमुख दर्शनीय स्थलों का सौंदर्यीकरण, पेयजल आपूर्ति हेतु पानी टंकी व फीडर लाइन, दूरस्थ क्षेत्रों में मोबाइल टॉवर, विद्यालयों व महाविद्यालयों में अतिरिक्त कक्ष व अन्य सुविधाओं का विस्तार, अनेक स्थानों पर एनीकट निर्माण आदि सैकड़ों कार्य अंचल के कायाकल्प की नई ईबारत लिख रहे हैं। कर्मयोगी ओ पी चौधरी की अगुवाई में तेज गति से हो रहे चौतरफा बदलाव ने यह जनविश्वास कायम किया है कि उनके नेतृत्व में रायगढ़ अंचल ऐतिहासिक विकास की उचाईयों को अवश्य हासिल करेगा और ‘ओ पी है तो उम्मीद है’ यह नारा पूरी तरह चरितार्थ होगा।

ओ.पी. चौधरी जी को जन्मदिन पर हृदय से बधाई एवं शुभकामनाएं

मुकेश जैन

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