चुनाव के लिए कुछ महीने ही बाकी ,छत्तीसगढ़ में बाबा के उपमुख्यमंत्री और नंदकुमार साय को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने के पीछे क्या है सियासी चाल, राजनीति की चौसर में कांग्रेस ने फेंका पाशा ।पढ़िए महुआ संवाद ..

चुनाव के लिये कुछ महीने ही बाकी ,छत्तीसगढ़ में बाबा के उपमुख्यमंत्री और नंदकुमार साय को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने के पीछे क्या है सियासी चाल ,राजनीति की चौसर में कांग्रेस ने फेंका पाशा । पढ़िए कितने फायदे में कांग्रेस ?
रायगढ़। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के कुछ महीने ही शेष रह गए हैं।नवम्बर में चुनाव होने हैं। कांग्रेस में मुख्यमंत्री के ढाई ढाई साल के फार्मूले में काफी उतार चढ़ाव होने के बाद अंततः टी एस बाबा को उपमुख्यमंत्री बनाकर पार्टी में मजबूती लाने की कोशिश की है। जिस तरह से ढाई ढाई साल के फार्मूले में टी एस बाबा को मुख्यमंत्री बनाया जाना था लेकिन दाऊ की सियासी चाल में बाबा फंस गए और उन्हें हाई कमान के निर्देशों के पालन में ही अपनी भलाई समझी । 2018 के विधानसभा चुनाव में टी एस ने जो मेहनत कांग्रेस के लिये की थी ,शायद उसी का नतीजा रहा है कि कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने में काबिलियत पाई । अभी चुनाव के कुछ महीने ही शेष रह गए हैं, बाबा को दिल्ली दरबार के माध्यम से उपमुख्यमंत्री के पद ग्रहण करने के लिए अपने सियासी दांव चलने में दाऊ कामयाब हो गए वही टी एस बाबा आडवाणी के प्रधानमंत्री बनने के सपने की तरह ही मुख्यमंत्री बनने के सपने अब दिवा स्वप्न हो गया है। एक ही तीर में दो शिकार करने में कामयाब हो गए बघेल जी ।एक तो पार्टी में बिखराव से बचने की कोशिश दूसरी विपक्ष को यह दिखाने के लिए अब कांग्रेस मजबूत दीवार की तरह चुनावी समर में है। हाल ही में पदलोलुपता के चलते भाजपा से नाराज दिग्गज आदिवासी नेता नन्दकुमार साय कांग्रेस प्रवेश के बाद उन्हें भी छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम का अध्यक्ष ( केबिनेट मंत्री का दर्जा ) बनाकर उंन्हे लाली पाप थमा दी है,.. ये भी कही बैठ बांसुरी बजाते रहें। कुलमिलाकर भाजपा व जनता के सामने अपने को मजबूत सरकार के रूप में एक छवि बनाने की कोशिश की है ताकि चुनावी वैतरणी पार करने में एक कील साबित हो सके ।