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आस्था और विश्वास से लवरेज सांपखंड का जंगल जहां होती है सर्पदेवी की पूजा

आस्था और विश्वास से लवरेज सांपखंड का जंगल जहां होती है सर्पदेवी की पूजा

रायगढ़ । रायगढ़ से करीबन 14 किलोमीटर दूर ग्राम महापल्ली से लगा शकरबोगा गांव और कनकतोरा ओडिसा के मध्य कबरा पहाड़ी और ठोंगो पहाड़ के बीच का जंगल सांपखंड जंगल के नाम से जाना जाता है। लगभग दो सौ साल पहले इस जंगल से एक पगडंडी रास्ता हुआ करती थी जो दोनो पहाड़ों के बीच सीधे ओडिसा के झारगांव और कनकतोरा क्षेत्र के गावो को जोड़ती है । एक किवदंती इस जंगल को लेकर चली आ रही है ।ग्रामीणों ने बताया की वर्तमान छत्तीसगढ़ की ओर से एक गांव के ग्वालीन दूध दही बेचने इस पगडंडी रास्ते से ओडिसा की ओर जाया करती थी । ठोंगों पहाड़ के एक बड़े खोह से एक विशालकाय सर्प निकलकर ग्वालिन के मटके में रखे दूध को पी जाया करता था। इसकी जानकारी ग्वालिंन को नहीं हो पाती ।एक बार ग्वाला ग्वालिन के पीछे पीछे हो लिया साथ में पकड़ा एक टंगिया हथियार ।जब दोनो बीच जंगल पहाड़ी किनारे पहुंचे तो ठोगो पहाड़ के खोह से एक विशालकाय सांप निकला और ग्वालिन के मटके का दूध पीने को हुआ तो ग्वाला ने आवेश में आकर सांप के सात टुकड़े कर दिए टांगिया से । वही तत्काल सातों टुकड़े पत्थर में तब्दील हो गए ।ग्वाले ने गांव आकर इस घटना को बताया तब से लोग इन पत्थरों में से एक पत्थर को जो उस सर्प का सिर था ।उसकी पूजा करने लगे । अब लोगो की मान्यता इस पत्थर के पूजा करने में होने लगी ।राहगीर जब भी इस रास्ते से गुजरते तो एक पत्थर या कंकड़ ही सही या फिर पेड़ के डगाली क्यों न हो ,यहां चढ़ा कर ही आगे के सफर तय करते थे ।कोई व्यक्ति अगर ऐसा नहीं करता तो उसके साथ अनिष्ट हुआ करती थी ।या तो वह रास्ता भटक जाता या गाड़ी सायकल पंचर हो जाती ।पहले के समय बैल गाड़ी हुआ करती थी , गाड़ी के पहिए निकल जाते या जंगली जानवरों से सामना करना पड़ता था।अगर पत्थर कंकड़ चढ़ा कर जाते तो आसानी से जंगल की सफर तय हो जाती ।तब से लोग बड़े ही आस्था और विश्वास के साथ इस पत्थर की पूजा सर्प देवी के रूप करने लगे ।वर्तमान समय में इसे संपखंडीन देवी के रूप में पूजन अर्चन की जा रही है । अब यहां मंदिर बन गए है ,पुजारी नित्य पूजा करता है । प्रतीक्षालय भी बन गए है ।ओडिसा और छत्तीसगढ़ दोनो प्रदेश के आसपास गांव के लोगो की एक कमेटी बनाई गई है ।शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र धूमधाम से मनाई जाती है ।पंद्रह हजार से अधिक लोगो की भीड़ इकट्ठी होती है ।महाभंडारे का आयोजन होता है ।लोगो की आस्था इतनी बड़ गई की अब हर माह संक्रांति तिथि पर भी पूजन अर्चन और कथा का आयोजन हो रहा है । पिछले गुरुवार को संक्रांति तिथि पर पूजन अर्चन के साथ ही भागवत कथा का आयोजन किया गया था ।सैकड़ों भक्त महिला व पुरुष कथा का श्रवण किया ।छत्तीसगढ़ से ग्राम शकरबोगा, कोसमपाली ओडिसा से झारगाव, दयाडेरा,बाबूडेरा कनकतोरा आदि गांव के श्रद्धालु इस कार्यक्रम में शामिल हुए ।

@शेषचरण गुप्त

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