25 अगस्त से 8 सितम्बर तक चलेगा नेत्रदान पखवाड़ा

रायगढ़, 21 अगस्त 2024/ रायगढ़ सहित समस्त विकासखण्डों में आगामी 25 अगस्त से नेत्रदान पखवाड़ा का आयोजन होने जा रहा है, जो 8 सितम्बर तक चलेगा। सीएमएचओ डॉ.चंद्रवंशी ने इस संबंध में जिले के समस्त नेत्र सर्जन, खण्ड चिकित्सा अधिकारी, नेत्र सहायक अधिकारी एवं समस्त कार्यालयीन स्टाफ को जन चेतना जागृत करने एवं मरणोपरान्त नेत्रदान करने हेतु छोटे-छोटे समूह में जानकारी देने, रैली निकालकर प्रचार-प्रसार करने निर्देशित किया।
बैठक में उपस्थित डॉ.श्रीमती मीना पटेल नोडल अधिकारी अंधत्व द्वारा नेत्रदान के संबंध में बताया गया कि राष्ट्रीय स्तर एवं राज्य में दृष्टिहीनों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है उसके एवज नेत्रदान की संख्या बहुत कम है। अंधत्व के बारे में बताया कि कार्निया में किसी भी प्रकार के चोट लगने से सफेदी हो जाती है जिसका उपचार कार्नियल ट्रासप्लांट कर दृष्टि वापस लायी जा सकती है तथा मृत्यु पश्चात ही नेत्रदान की जाती है। नेत्रदान से किसी दृष्टिहीन व्यक्ति के जीवन में नई रोशनी आ सकती है। नेत्रदान करने वालों की आयु 05 वर्ष से 60 वर्ष के आयु वर्ग के व्यक्ति की आंखे दान के लिये उपयुक्त मानी जाती है। लेकिन रैबिज, टीटनेश, हेपेटाईटिस, सर्प दंश, जहर सेवन, जलने से या डूबने से हुई मृत्यु में नेत्रदान के लिये उपयुक्त नहीं माना जाता है। नेत्रदान करने के लिये औपचारिकताओं की आवश्यकता नहीं है, मृत व्यक्ति के परिजनों या उत्तराधिकारी के अनुमति पर नेत्र निकालने की प्रक्रिया की जाती है। नेत्रदान की प्रक्रिया मृत्यु होने के 06 घण्टे के अंदर पूरी कर ली जानी चाहिए इसके लिये जितनी जल्दी हो सके परिजनों या उत्तराधिकारी को इसकी सूचना चिकित्सकीय टीम को दी जानी चाहिए।
श्री राजेश आचार्या सहायक नोडल अधिकारी नेे बताया कि नेत्रदान करने हेतु आमजन में दृष्टि रथ के माध्यम से नेत्रदान करने हेतु प्रचार प्रसार किये जाने पर बल दिया। उन्होने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को नेत्रदान अवश्य करना चाहिए ताकि अंधत्व से पीडि़त व्यक्ति को इसका लाभ त्वरित मिल सके। उन्होंने कहा की नेत्रदान को भारतीय संस्कृति में महादान की संज्ञा दी गई है। वरिष्ठ नेत्र सहायक अधिकारी, श्री अर्जुन बेहरा द्वारा बताया गया कि जिला अंधत्व निवारण समिति एवं देवकी रामधारी फाउण्डेशन के सहयोग से रायगढ़ जिले में अब तक कुल 29 व्यक्तियों द्वारा नेत्रदान किया गया है, नेत्रदान हेतु मनुष्य के कार्निया का स्वस्थ्य होना अति आवश्यक है।